चंगेरा से धान मंडी सड़क निर्माण कार्य में अनियमितता, गिट्टी और मुरूम की जगह बिछा रहे पीली मिट्टी....


नीमच। ग्राम चंगेरा से नवीन धान मंडी तक सड़क निर्माण किया जा रहा है। जिसमें ठेकेदार के द्वारा सड़क निर्माण कार्य में गिट्टी और मुरूम की जगह पीली मिट्टी डालकर इतिश्री की जा रही है।
गौरतलब है कि सड़क निर्माण में हो रहे पीली मिट्टी के उपयोग में सीबीआर का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खराब मिट्टी के उपयोग से सड़क समय से पहले ही खराब हो सकती है। पीली मिट्टी की सीबीआर सबसे कम मानी जाती है। इसलिए सड़क निर्माण में उसके प्रयोग पर प्रतिबंध है। निर्माण के लिए मुरम को बेहतर माना जाता है। मालूम हो कि लाखो रूपये की लागत से ग्राम चंगेरा से धान मंडी तक सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में सड़क का बेस तैयार किया जा रहा है। बेस को गिट्टी और मिट्टी के साथ तैयार किया जाता है। जिसमें आमतौर पर गिट्टी के साथ मुरम का उपयोग किया जाता है। लेकिन चंगेरा से मंडी तक सड़क निर्माण में पीली मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है।
क्या ही सीबीआर: मिट्टी की प्रति वर्ग मीटर वजन सहने की क्षमता को सीबीआर कहा जाता है। रेतीली मुरम की सीबीआर सर्वाधिक 12 टन क्षमता मानी जाती है, जबकि पीली सबसे कम पांच से पांच टन वजन प्रति वर्ग मीटर सहने की क्षमता होती है। इससे अधिक क्षमता के लिए सड़क निर्माण के दौरान जीएसबी (ग्रेनुअल सब बेस) जिसमें गिट्टी, बजरी व डस्ट का प्रयोग किया जाता है।
समय से पहले सड़क बर्बाद होने की संभावना: सड़क निर्माण में पीली मिट्टी का प्रयोग होने से सड़क के समय से पहले बर्बाद होने की संभावना बन रही है। पीली मिट्टी की भार क्षमता कम होने से जैसे ही सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही शुरू होगी, सड़क क्षतिग्रस्त हो जाएगी।
अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान: सड़क निर्माण में ठेकेदार जम कर गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। लेकिन इस ओर विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। सड़क निर्माण में मुरूम और गिट्टी के स्थान पर पीली मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है।