नीमच। ग्वालटोली निवासी मंजुबाई सुराह ने कलेक्टर सहित शासन—प्रशासन के नाम एक लिखित शिकायती आवेदन देकर अवगत कराया था कि एडवोकेट दर्शन शर्मा उनके खेत की मेड़ पर बने कुए और दो पतरा मकान को हड़पना चाहते है जिसमें षड़यंत्र पूर्वक राजस्व निरीक्षक योगेश चौपड़ा से मिलिभगत कर कुटरचित खसरा नक्शे में कुएं और अन्य भूमि को गलत तरीके से कराए गए सीमांकन के प्रतिवेदन में शामिल किया है। पीड़िता की शिकायत के बाद प्रशासनिक जांच टीम गठीत की गई। जांच टीम ने मंजूबाई सुराह के खेत का पुन: सीमांकन किया जिसमें पाया कि जिस भूमि और कुए का अधिपथ्य दर्शन शर्मा बता रहा था वह भूमि असल में मंजूबाई के हिस्से की थी और मंजुबाई की भूमि में ही उक्त कुआ और मकान है, जो सिमाकन उक्त दर्शन शर्मा के समक्ष में किया गया और जांच में यह भी स्पष्ट हो गया कि दर्शन शर्मा ने राजस्व निरीक्षक योगेश चौपड़ा से मिलीभगत और कुटरचित तरीके से गलत सीमांकन कर योगेश चौपड़ा ने नियम विरुद्ध प्रतिवेदन बनाया और मंजूबाई की भूमि पर स्थित कुंए और मकान को हड़पने की साजिश की थी। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जांच दल ने मंजूबाई को तो न्याय दिला दिया, लेकिन रिश्वतखोर अफसर योगेश चौपड़ा पर अब तक कोई गाज नही गिरी है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के आदेश सभी अधिकारियों को दे रखे है, और उक्त राजस्व निरीक्षक के विरुद्ध पूर्व में भी कई शिकायते हुई है। लेकिन उन शिकायतों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। नवागत कलेक्टर को चाहिए की राजस्व निरीक्षक योगेश चौपड़ा की गतिविधियो पर एक जांच दल बिठाया जाए और अब तक योगेश चौपड़ा ने कितने घोटाले किए उसकी निष्पक्ष जांच की जाए। साथ ही पीड़िता मंजूबाई के खेत का गलत सीमांकन करने पर दोषी राजस्व निरीक्षक पर कड़ी कार्रवाई की जाए।